सांस की एलर्जी में करें योग

सांस की एलर्जी में करें योग

दमा सांस की एलर्जी का सबसे बिगड़ा रूप है। किसी भी वजह से अगर सांस लेने में तकलीफ हो रही हो तो ज्‍यादा आशंका इसी बात की होती है कि सांस की नली किसी एलर्जी से ग्रस्‍त है। ऐसे में आमतौर पर लोग श्‍वसन रोग विशेषज्ञ के पास जाते हैं मगर योग विशषज्ञ सुनील सिंह कहते हैं कि एलोपैथी के मुकाबले योग इस तरह की एलर्जी में ज्‍यादा मददगार हो सकता है।

गौरतलब है कि एलोपैथी चिकित्‍सक आमतौर पर इस बीमारी के इलाज में योग की उपयोगिता को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि सांस की एलर्जी के इलाज में योग की कोई प्रामाणिक वैज्ञानिक भूमिका नहीं पाई गई है।

दूसरी ओर सुनील सिंह कहते हैं कि सांस की एलर्जी में प्राणायाम बेहद फायदेमंद होता है। खास बात यह है कि प्राणायाम की यह क्रिया काफी सरल भी है और इसका कोई दुष्परिणाम भी नहीं होता। मरीज चाहे तो एलोपैथी की दवा के साथ-साथ नाड़ी शोधन प्राणायाम कर सकता है।

इस प्राणायाम के लिए मरीज को बिलकुल तनकर पद्यासन या सुखासन में बैठ जाना चाहिए। इसके बाद दाएं हाथ को प्राणायाम की मुद्रा में लाकर अंगूठे से दाएं नाक की छिद्र को बंद कर बांए छिद्र से सांस लेना चाहिए। फिर मध्यमा उंगली से बांए छिद्र को बंद कर दांए से सांस छोड़ दें। इसके बाद दाएं छिद्र को बंद कर दाएं से सांस छोड़ दें। इसके बाद दाएं छिद्र से सांस लेकर बाएं से छोड़ेंगे। ये नाड़ी शोधन प्राणायाम का एक चक्र होता है।

ध्यान रखने की बात यह है कि प्राणायाम बांए छिद्र से शुरू होकर उसी पर खत्म होना चाहिए। सुनील सिंह के अनुसार यह कहना कि योग से एलर्जी ठीक नहीं होती गलत है। हकीकत यह है कि नाड़ी शोधन प्राणायाम से शरीर की 72 हजार नस-नाड़ियों के साथ-साथ आंतरिक और बाह्य शुद्धि होती है और सभी अवरोध खत्म हो जाते हैं।

सुनील सिंह कहते हैं कि कोई भी प्राणायाम शुद्ध वातावरण में ही होना चाहिए। अगर आप औद्योगिक प्रदूषण वाले इलाके में प्राणायाम करेंगे तो यह लाभप्रद नहीं होगा। इसलिए इस बात का ध्‍यान रखें कि वातावरण स्‍वच्‍छ हो।

सावधानी: प्राणायाम करते समय मेरूदंड को एकदम सीधा रखना चाहिए। सांस नाक से ही लें। किसी भी हालत में मुंह से सांस नहीं लेनी चाहिए। इस प्राणायाम को उर्जा और भ्रामरी से पहले करना चाहिए।

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